Friday, November 28, 2008

आज भी घटना पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है, हे भगवन क्या होगा मुंबई का? और क्या होगा अपने देश का?
न जाने ये आतंकवादी क्या सोच कर मैदान पर उतरे हैं, शायद यही, की "खुद मरो औरों को भी मरने दो"-
कहीं न कही कुछ तालुकात विदेशों से है, कौन है जो अमन नहीं चाहता...
बस आज यही दुआ करता हूँ, कम से कम इस घटना के बाद तो शांति बनी रहे..

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