आज भी घटना पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है, हे भगवन क्या होगा मुंबई का? और क्या होगा अपने देश का?
न जाने ये आतंकवादी क्या सोच कर मैदान पर उतरे हैं, शायद यही, की "खुद मरो औरों को भी मरने दो"-
कहीं न कही कुछ तालुकात विदेशों से है, कौन है जो अमन नहीं चाहता...
बस आज यही दुआ करता हूँ, कम से कम इस घटना के बाद तो शांति बनी रहे..
Friday, November 28, 2008
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