Monday, December 22, 2008

ज्ञान की रोचक बात

जय साईँ राम

एक बात सुनाता हूँ में ठीक है आप सुनो

एक बार स्वर्ग से दूत आये धरती पे किसी को लेने जब वहा पर मेरे जैसे किसी बदमास ने चापलूसी कर के स्वर्ग के वाहन में छुप के बैठ गया और स्वर्ग में पहुँच गया वहा पहुँचने के बाद दूतो को पता चला कि गलती से कोई उनके साथ आ गया है जब वो दूत उसकी कहते है यहाँ से चले जाओ वो कहता है कि में अब नही जाऊंगा दूत बहुत कोशीस करते है पर फ़ीर भी वो जाने को नही मानता और वहा से उसको बहार कोई निकाल नही सकता उसकी मर्जी के बीना तो दूतो ने ये सुचना यमराज जी को भेजी कि हम से ये गलती हो गई है अब हम क्या करे यमराज जी आते है उसको बहुत समझाते है कि तुम बाहर आजाओ वो बाहर आत नही है और उसको पता है कि यमराज जी और उनके दूत स्वर्ग में कदम भी रख सकते नही है और अंदर से स्वर्ग वासी उसको बाहर निकाल नही सकते वो यमदूत जी को बोल देता है कि में अब यही रहूँगा यमराज जी लाख कोशीस कर के थक जाते है फ़ीर वो अक्ल वो अपने 4-5 दूतो के कह जाते है कि तुम यही द्वार पे बेत जाओ और उसके आने का इन्तजार करो यम् जी अपने दूतो को कह के जाते है कि तुम लोग यहाँ द्वार पे बैठ जाओ बीड़ी पियो और उसके आने का इन्तजार करो काफी दीन बीत जाते है 1- दीन 2- दीन 3 - दीन वो मानूस बाहर ही नही आता वो अंदर से ही देखता है बाहर बीड़ी जलती है और उसकी सरीर कि धडकनों में हलचल होती है उसको भी बीड़ी पिने कि लत होती है काफी दीन तक नही आता फ़ीर एक दीन आखीर आ ही जाता है वो सोचता है क्या है बाहर जा के बीती का एक कस् एक सुट्टा मार के वापिस आ जाऊंगा वो जैसे ही बाहर आता है वैसे ही उसको यमदूत जी पकड़ लेते है और पकड़ के कहते है कि बहुत दीन हो गए अब चल तेरे जुर्म के साथ ये भी जुर्म जोड़ा जायेगा

मुझे इतना लिखना नही आता है में बहुत ही कम लिखता हूँ पर जब लिखने लग जाता हूँ तो पता ही नही चलता कि क्या क्या लीख दिया

इतने सारा लीखा है उसका एक लाइन में ही बोल रहा हूँ

कहने का मतलब ये ही कि इन्सान चाहे कीतना भी अपने आप को बदल ले पर वो अपनी आदतों को कभी नही बदल पता .

भाइयो बहनों माताओं और सभी दोस्तों ये मेने ही लीखा है मुझे इतना ज्यादा लिखना नही आता है
आपका प्यारा और आपको परेसान करने वाला आनन्द मोदी

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2 comments:

Digital Marketing Exprt said...

Very Veryy Veryyyyyy Gud i like u dear i love u loving u so much

Pramendra Pratap Singh said...

जय श्रीराम मित्र,

आप कहाँ ?